bachpan

*नींद भरी आँखों की पलक नहीं  झपकातेहैं* 
*चल यादों की गठरी में बचपन बाँधे लाते हैं*
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 *कुछ यादें बचपन की विस्मृत सी*
*माँ बाबूजी के जेवर  है,* 
*मोल  चुके न इस जीवन में*
*चाल औ बोली उनकी एक धरोहर हैं*।। 
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*गोल गोल  नाच कर छैयाँ खेला करते थे*,,
*ऊँच नीच और छुपम छुपाई गिप्पी फोड़ा करते थे*।।
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*सोनपरी और पकड़म पकड़ाई अपने खेल पुराने थे*,
*कड़क्को और सिकड़ी गुट्टे सारे खेल सुहाने थे* ।।
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*रस्साकस्सी, खो खो, कबड्डी  सेहत तौला करतीं थीं*  
*ताल तलैया, कच्ची अमिया रास्ता देखा करतीं थी*
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*फटे पुराने कपड़ों से गुड़िया गुड्डे बन जाते थे*
*बिना कुंडली ,मुहर्त मिलाए शादी भी करवाते थे*।।
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*माँ की पुरानी साड़ी पहन डाक्टर, टीचर खेले थे*
*न थे भारी बस्ते, कक्षा और गृह कार्य कोई न झमेले थे*।।
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*दीवाली के दिए हम बच्चों के तराजू बन जाते*
*लैय्या खील बतासे तौले नीम गिलौरी आम बनाते*।।
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 *एक दो रोटी बासी ही हो घी बुकनू या गुड़ नमक से खा लेते थे*,
*वही हमारा पिज़्ज़ा बर्गर ,,सादा जीवन जी लेते थे*।।
🍕🍕🍕🍔🥪🍟🍟🍔
*त्योहारों में कपड़े मिलते एक हो या दो चार*,
*उससे पहले एक दूसरे के पहनो कोई नहीं  विचार* ।।
👚👕👗👖🧣🦺🥻👘
*भरी दुपरहिया घूमा करते दोस्तों संग गलबहियाँ डाले*,
*घर की याद तभी आती थी जब पेट में चूहा चलता  चालें*।।
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**शाम को अक्सर भैया साइकल सैर कराते* 
*हम पीछे कैरियर पर बैठे खुद ही पर इतराते*।।
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*बारिश की रिमझिम फुहार में अक्सर भीगा करते*
*रुके हुए पानी में अक्सर  नाव चलाया करते*।।
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*कापी के पन्नों से फिरकी ,जहाज बनाते*,
*कभी कभी तो पन्ने से ही पतंगे भी उड़ाते* ।। 
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*टोले मुहल्ले के सब काका चाचा लगते थे*,
*सारे रिश्ते अगल बगल में ही जोड़ा करते थे* ।।
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*बच्चे थे  किसी और के, ऐसा कोई न समझता*, 
*गलती होने पर पूरे हक से डाँटा मारा करता*।।
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*तीज त्योहार मेले में  सब मिल जाया करते*,
*पच्चीस पैसे की चाट जलेबी जी भर खाया करते*।।
🎡🎡🎡🎢🍭🍿🍩🍪
*नींद की ऐसी तैसी करके  दिन भर धमाचौकड़ी करते*,
*सँझा होते ही खा पीकर खटिया पर गिर पड़ते*।।
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*न एसी था न कूलर था न पंखा बस एक खाट बेचारी*
*बिन फ्रिज टीवी के बहुत सुखी थे न किसी कष्ट का रोना न कोई बीमारी* ।।
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*बूढ़ा  हो गया है अब बचपन वो पहले वाली बात कहाँ* 
*वो गाँवकहाँ  वो प्रीत कहाँ  वो बचपन वाले मीत कहाँ*   
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*जिन्दगी बीते वक्त कहाँ दोहराती  है*
*वो बचपन वाली जिन्दगी क्या कभी लौट कर आती है*।।   
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*एक खुशनुमा बचपन को समर्पित*
*स्वरचित एवं पूर्ण अधिकार सुरक्षित*. 
*"उषा गोयल" 'अजीत"*🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️

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